12 साल बाद धनु राशि में गुरु का परिवर्तन, इन राशि वालों के लिए होगा शुभ

देवगुरु बृहस्पति लगभग 12 वर्षों बाद पुनः 05 नवंबर की प्रातः 05 बजकर 17 मिनट पर अपनी राशि धनु में प्रवेश कर रहे हैं। ये एक सदी में लगभग आठ बार धनु राशि की परिक्रमा करते हैं। गुरु के धनु राशि में गोचर करने से 'हंस' योग बनता है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु पुनर्वसु, विशाखा एवं पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों के भी स्वामी हैं। कर्क राशि इनकी उच्च और मकर राशि नीच संज्ञक कही गयी है। जिन जातकों की जन्मकुंडली में गुरु धनु राशि में होकर केन्द्र या त्रिकोण में होंगे उनके लिए 'हंस' योग श्रेष्ठतम फलदाई रहेगा। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को सर्वाधिक शुभ एवं शीघ्रफलदाई ग्रह माना गया है। जन्मकुंडली में द्वितीय, पंचम, नवम तथा एकादश भाव के कारक होते हैं। इनका धनु राशि में जाना सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा इसका ज्योतिशीय विश्लेषण करते हैं।