इंटरनेशनल गेटवे से खोला ठगी का रास्ता, बगैर ओटीपी क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग कर रहे साइबर अपराधी

 



कानपुर | क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले सावधान हो जाएं। अगर ऐसा लगता है कि साइबर ठग वन टाइम पासवर्ड  (ओटीपी) हासिल किए बगैर कुछ नहीं कर पाएंगे, तो यह खालिस गलतफहमी है। अब ठग क्रेडिट कार्ड नंबर और सीवीवी हासिल कर इंटरनेशल पेमेंट गेटवे इस्तेमाल कर रहे हैं और हजारों-लाखों रुपयों की शॉपिंग दूसरों के क्रेडिट कार्ड से कर रहे हैं। इसमें ओटीपी की जरूरत नहीं पड़ती है। इस साल अब तक ऐसी 50 शिकायतें साइबर सेल में पहुंच चुकी हैं।


 

ऐसे बनाते हैं शिकार
साइबर ठग शातिर तरीकों से क्रेडिट कार्ड धारकों के कार्ड नंबर व सीवीवी हासिल कर लेते हैं। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक खरीदारी के वक्त क्रेडिट कार्ड स्वैप करते वक्त बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। कार्ड खुद स्वैप करना चाहिए। किसी और के हाथ में कार्ड नहीं देना चाहिए क्योंकि कार्ड दूसरे के हाथ में जाने पर जानकारी चोरी होने की आशंका बनी रहती है। कार्ड नंबर व सीवीवी नंबर साइबर ठगों के हाथ में पहुंच जाने पर वे इंटरनेशनल पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल कर आसानी से घर बैठे खरीदारी करते हैं।


ये हैं इंटरनेशनल पेमेंट गेटवे
पेपाल, चेकआउट, स्ट्रिप समेत तमाम ऐसे पेमेंट गेटवे हैं, जिनमें क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते वक्त ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती है।

इस साल अब तक ऐसी 50 शिकायतें 
कानपुर के साइबर सेल में इस साल जनवरी से अब तक 937 शिकायतें पहुंची हैं। इनमें क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने के 50 मामले शामिल हैं। साइबर टीम ने महज तीन-चार मामलों में ही कार्रवाई की है। बाकी में टीम ने यह पता तो कर लिया है कि क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग कहां की गई है और आईपी एड्रेस भी पता लग गए, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई की कोई जहमत नहीं उठाई।


दूसरे प्रदेशों से तार जुड़े होने पर पुलिस हो जाती है सुस्त
अधिकतर मामलों में रकम ज्यादा बड़ी नहीं होती है। लिहाजा, पुलिस एफआईआर तो दर्ज कर लेती है, लेकिन जब साइबर सेल को पता चलता है कि शातिर बिहार, झारखंड, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों के हैं, तो पुलिस उस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है। कुछ समय बाद पीड़ित भी कार्रवाई के बारे में पता करना बंद कर देते हैं। जिससे मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

रुपये वापस करती है बैंक
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि इन मामलों में खाताधारक के पास जब रुपये कटने का मैसेज आता है, तो उसे साइबर ठगी की जानकारी होती है। चूंकि इसमें ग्राहक की गलती नहीं होती है, इसलिए घटना के तीन दिन के भीतर बैंक में शिकायत करने पर बैंक रुपये वापस करती है। ऐसे में पुलिस भी कार्रवाई नहीं करती है। वहीं, दूसरी तरफ ठगी के शिकार हुए लोग भी कार्रवाई से पीछे हट जाते हैं।


ये सावधानियां बरतें
- क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अपने हाथों से ही करें, जिससे जानकारी लीक न हो।
- मॉल आदि जहां कैमरे लगे हों, वहां पर कार्ड को छिपाकर मशीन में स्वैप करें।
- संभव हो तो कार्ड केपीछे लिखा सीवीवी नंबर याद कर लें और उसे मिटा दें, इससे कार्ड की जानकारी सुरक्षित रहेगी।
- ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त कभी भी कार्ड संबंधी जानकारी सेव न करें।